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Friday 13 July 2012

परवर्ती दुख से भीगी थी

********श्याम मुझको याद देखो आ गए ********


परवर्ती दुख से भीगी थी
तिस मेघों की अतिव्रष्टि
... यादों के घन पुनः छा गए
साँवले मोहन याद आ गए॥
प्यासी अचला
चक्षु व्रष्टि से भीगी-भीगी
किन्तु, प्यासे मन की पीड़ा
स्मृति घन बढ़ा गए।
श्याम मुझको याद देखो आ गए
रच रहे पावस ऋतु मे,
गीत उन्मादों भरे,
किन्तु, गीतों मे मेरे
वियोग रस छा गए॥
श्याम मुझको याद देखो आ गए

कुंज रमणीय हो उठे
शिखी भी, मेह के नशे मे गा रहे
किन्तु मेरे द्र्गु पुलिन मे
अश्रु भर-भर आ रहे॥
श्याम मुझको याद देखो आ गए
सोनिया बहुखंडी गौड़
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2 comments:

  1. भावपूर्ण कविता के लिए आभार.......

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  2. बहुत सुन्दर अनुपम करती के लिए बधाई

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